अपना शरीर, अपनी शर्तें: पेरिमेनोपॉज की गुत्थी सुलझाएं और
अपने मिडलाइफ स्वास्थ्य की कमान संभालें
क्या आपको हाल ही में लग रहा है कि आपका अपना शरीर ही आपसे बगावत कर रहा है? रातों की नींद उड़ गई है? मूड अचानक बदलता रहता है, जैसे कोई अदृश्य स्विच फ्लिप हो गया हो? शायद पीरियड्स का शेड्यूल बेतरतीब हो गया हो, या फिर चेहरे पर गर्मी की लहरें महसूस होने लगी हों। अगर आपकी उम्र 35 से 50 के बीच है, तो संभव है आप पेरिमेनोपॉज (रजोनिवृत्ति संक्रमण काल) के उस अनजाने, अक्सर भ्रामक दौर से गुजर रही हैं।
अक्सर कहा जाता है, "यह तो बस उम्र का असर है," या "सबके साथ होता है, सहन कर लो।" लेकिन मित्रों, यह सहने या चुपचाप झेलने का
विषय नहीं है। पेरिमेनोपॉज जीवन का एक प्राकृतिक चरण है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि आपको इसके लक्षणों से जूझते हुए अपने जीवन
की गुणवत्ता को कम होने देना चाहिए। यह समय है जागरूक होने का, अपने शरीर को समझने का, और सबसे बढ़कर, अपनी स्वास्थ्य देखभाल में सक्रिय भूमिका निभाने का। आइए, एक साथ इस यात्रा पर निकलें – बिना डर के, बिना शर्म के,
सिर्फ ज्ञान और सशक्तिकरण के साथ।
पेरिमेनोपॉज क्या है? सिर्फ 'पीरियड्स बंद होने से पहले' से कहीं ज्यादा
पेरिमेनोपॉज का मतलब सिर्फ यह नहीं है कि आपके
पीरियड्स अनियमित होने वाले हैं और फिर बंद हो जाएंगे। यह एक बहुत ही जटिल
हार्मोनल ट्रांजीशन का दौर है, जो महिला शरीर में एस्ट्रोजन
और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन्स के उतार-चढ़ाव के साथ शुरू होता है। यह चरण औसतन 4 से 8 साल तक चल सकता है, कभी-कभी तो और भी लंबा। रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) तब
मानी जाती है जब लगातार 12 महीनों तक पीरियड्स न आए हों। पेरिमेनोपॉज उसके
ठीक पहले का वह लंबा दौर है जहां सब कुछ बदल रहा होता है।
लक्षण: सिर्फ गर्मी की लहरें ही नहीं, एक पूरा स्पेक्ट्रम
हाँ, गर्मी की लहरें (हॉट
फ्लैशेस) और रात को पसीना आना (नाइट स्वेट्स) सबसे मशहूर लक्षण हैं। लेकिन
पेरिमेनोपॉज का दायरा इससे कहीं विस्तृत है:
1. मासिक धर्म में बदलाव: यह अक्सर पहला संकेत होता
है। पीरियड्स छोटे या लंबे चक्र में आ सकते हैं, हैवी या लाइट ब्लीडिंग हो सकती है, कई बार छूट भी सकते हैं।
2. नींद में खलल: नींद न आना (इनसोम्निया), रात में बार-बार जागना, या नाइट स्वेट्स की वजह से
नींद टूटना।
3. मूड स्विंग्स और मेंटल हेल्थ: चिड़चिड़ापन,
अचानक गुस्सा आना, बिना वजह उदासी महसूस होना, घबराहट या एंग्जाइटी बढ़ना, ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत ("ब्रेन फॉग"), याददाश्त में कमी महसूस होना। यह एस्ट्रोजन के उतार-चढ़ाव का सीधा प्रभाव
मस्तिष्क पर होता है।
4. यौन स्वास्थ्य में बदलाव: योनि में सूखापन
(वेजाइनल ड्राइनेस),
संभोग के दौरान दर्द, सेक्स ड्राइव (लिबिडो) में कमी।
5. शारीरिक बदलाव: बालों का पतला होना या
झड़ना, त्वचा का रूखा होना या ढीला पड़ना, वजन बढ़ना (खासकर पेट के
आसपास), जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द।
6. मूत्र संबंधी समस्याएं: बार-बार पेशाब लगना, यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) का खतरा बढ़ना, या खांसने-छींकने पर पेशाब का रिसाव (स्ट्रेस इनकॉन्टिनेंस)।
7. ऊर्जा में कमी: लगातार थकान महसूस होना, पहले जैसी फुर्ती न रहना।
सबसे बड़ी चुनौती: स्वास्थ्य तंत्र का भूलभुलैया और
अपनी आवाज़ बुलंद करना (Navigating Healthcare & Advocacy)
यहाँ आता है वह पहलू जिस पर अक्सर बात नहीं होती – डॉक्टर के पास जाना और सही इलाज पाना। दुर्भाग्य से, कई डॉक्टर्स (यहाँ तक कि कुछ गायनोकोलॉजिस्ट भी) पेरिमेनोपॉज की पूरी जटिलता
को नहीं समझते या लक्षणों को गंभीरता से नहीं लेते। आपको सुनने के बजाय कहा जा सकता
है, "यह तो नॉर्मल है," या "थोड़ा व्यायाम कर लो," या सबसे खतरनाक – "आप तो अभी बहुत जवान हैं, यह सब सोचना बंद करो।"
इसलिए, अपनी वकील खुद बनें
(Be Your
Own Advocate):
1. तैयारी करके जाएं: अपॉइंटमेंट से पहले, अपने सभी लक्षणों की डायरी बनाएं – कब शुरू हुए, कितनी बार होते हैं, कितनी तीव्रता के हैं। अपने पीरियड साइकल का हिसाब
रखें।
2. स्पष्ट और दृढ़ बनें: डॉक्टर को बताएं कि ये
लक्षण आपकी रोजमर्रा की जिंदगी, काम, रिश्तों और जीवन की खुशी को कैसे प्रभावित कर रहे हैं। "मुझे रात में
बार-बार पसीना आता है और नींद टूटती है, जिससे मैं दिनभर थकी हुई और
चिड़चिड़ी रहती हूँ" जैसे वाक्य बोलें। "थोड़ी परेशानी है" जैसे
वाक्य न कहें।
3. सवाल पूछने से न डरें:
·
"क्या मेरे लक्षण पेरिमेनोपॉज
की ओर इशारा करते हैं?"
·
"मेरे हार्मोन लेवल चेक करने के लिए कौन से टेस्ट
जरूरी हैं?"
(याद रखें, ब्लड टेस्ट अक्सर
पेरिमेनोपॉज में हार्मोन के उतार-चढ़ाव को पकड़ नहीं पाते, लेकिन अन्य टेस्ट जैसे थायरॉयड जांच जरूरी हो सकते हैं)।
·
"मेरे लिए उपलब्ध उपचार के विकल्प क्या हैं? इनके फायदे और जोखिम क्या हैं?"
·
"अगर यह पेरिमेनोपॉज नहीं है, तो और क्या कारण हो सकते हैं?" (थायरॉयड की समस्या, विटामिन डी की कमी आदि भी ऐसे लक्षण दे सकते हैं)।
4. दूसरी राय लेने का हक: अगर आपको लगता है कि डॉक्टर
आपकी बात गंभीरता से नहीं ले रहा, आपके सवालों का संतोषजनक
जवाब नहीं दे रहा,
या उपचार के विकल्पों पर खुलकर चर्चा नहीं कर रहा, तो किसी और गायनोकोलॉजिस्ट या मेनोपॉज स्पेशलिस्ट से सलाह लेने में संकोच न
करें। आपका स्वास्थ्य आपका अधिकार है।
एचआरटी (हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी): डरावनी कहानी
नहीं, एक प्रभावी उपकरण (Demystifying HRT)
एचआरटी के बारे में बहुत सी भ्रांतियां और डर फैले
हुए हैं, अक्सर पुराने या अधूरे शोध के आधार पर। सच्चाई यह है कि सही महिला को, सही समय पर, सही खुराक और सही तरीके से दी गई एचआरटी, पेरिमेनोपॉज के लक्षणों के प्रबंधन के लिए सबसे प्रभावी उपचार हो सकती है।
एचआरटी क्या है? यह उन हार्मोन्स (मुख्यतः एस्ट्रोजन, और अगर गर्भाशय है तो प्रोजेस्टेरोन भी) की जगह लेती है जिनका स्तर इस दौरान
गिरने लगता है।
यह कैसे मदद करती है? एचआरटी गर्मी की लहरें, रात को पसीना,
योनि का सूखापन, मूड स्विंग्स,
नींद की समस्याएं, जोड़ों के दर्द को काफी हद तक कम या खत्म कर सकती है। यह हड्डियों के घनत्व
(ऑस्टियोपोरोसिस) को बचाने और हृदय रोग के कुछ जोखिमों को कम करने में भी मददगार
हो सकती है (खासकर अगर 60 साल से पहले शुरू की जाए)।
जोखिम? हर दवा की तरह एचआरटी के भी कुछ जोखिम हो सकते हैं, जैसे ब्लड क्लॉट (खासकर स्मोकर्स या पहले से क्लॉटिंग डिसऑर्डर वाली महिलाओं
में), स्ट्रोक का थोड़ा बढ़ा हुआ जोखिम (उम्र और अन्य फैक्टर्स पर निर्भर), ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम थोड़ा बढ़ सकता है (मुख्यतः कॉम्बिनेशन एचआरटी लेने पर
और 5 साल से ज्यादा इस्तेमाल करने पर)। लेकिन यह जानना जरूरी है कि ये जोखिम बहुत
कम होते हैं और अक्सर उन फायदों के सामने कम पड़ जाते हैं जो लक्षणों से राहत और
जीवन की गुणवत्ता में सुधार के रूप में मिलते हैं। जोखिम हर महिला के लिए अलग होते
हैं और उम्र, स्वास्थ्य इतिहास, एचआरटी के प्रकार और खुराक पर निर्भर करते हैं।
कौन अच्छा उम्मीदवार है? जिन महिलाओं को पेरिमेनोपॉज के मध्यम से गंभीर
लक्षण हैं, जो अन्य उपचारों से आराम नहीं पा रही हैं, और जिन्हें एचआरटी देने के कोई मेडिकल कंट्राइंडिकेशन (जैसे ब्रेस्ट कैंसर का
इतिहास, अनियंत्रित हाई बीपी, लिवर डिजीज, बिना ट्रीटमेंट के
थ्रोम्बोफिलिया) नहीं है।
शुरू करने का सबसे अच्छा समय? पेरिमेनोपॉज के दौरान या
मेनोपॉज के तुरंत बाद (आमतौर पर 60 साल से पहले या मेनोपॉज
शुरू होने के 10 साल के भीतर),
जिसे "थेराप्यूटिक विंडो" कहा जाता है, एचआरटी के फायदे जोखिमों से कहीं आगे होते हैं।
एचआरटी के प्रकार: गोलियां, स्किन पैच, जेल, क्रीम, योनि की गोलियां/क्रीम/रिंग्स। योनि की एस्ट्रोजन थेरेपी सूखेपन के लिए बहुत
प्रभावी है और इसमें सिस्टमिक जोखिम बहुत कम होते हैं। आपकी जरूरतों के हिसाब से
डॉक्टर सबसे उपयुक्त फॉर्म और खुराक तय करेगा।
सबसे जरूरी बात: एचआरटी पर निर्णय आपका और
आपके डॉक्टर का एक साझा निर्णय होना चाहिए, जो आपकी व्यक्तिगत जरूरतों, स्वास्थ्य स्थिति और जोखिम प्रोफाइल पर आधारित हो। बिना जानकारी के डर के आधार
पर इसे नकारें नहीं,
और न ही बिना डॉक्टरी सलाह के शुरू करें।
गैर-हार्मोनल उपचार विकल्प (Non-Hormonal Options):
हर महिला एचआरटी नहीं ले सकती या नहीं लेना चाहती।
अन्य विकल्पों में शामिल हैं:
गर्मी की लहरों के लिए: कुछ
एंटीडिप्रेसेंट्स (एसएसआरआई/एसएनआरआई) कम खुराक में, गैबापेंटिन, क्लोनिडीन।
योनि के सूखेपन के लिए: ओवर-द-काउंटर मॉइश्चराइजर (जैसे रिप्लेंस) और
ल्यूब्रिकेंट्स (जैसे केवाई जेली), योनि लेजर थेरेपी।
नींद और मूड के लिए: सीबीटी (कॉग्निटिव
बिहेवियरल थेरेपी),
माइंडफुलनेस, योग, ध्यान। कभी-कभी दवाएं भी।
आयुर्वेदिक/हर्बल उपचार: शतावरी, अश्वगंधा, शंखपुष्पी जैसी जड़ी-बूटियां कुछ महिलाओं को लाभ पहुंचा सकती हैं। हालाँकि, इन्हें डॉक्टर को बताकर ही लें, क्योंकि इनके भी साइड
इफेक्ट्स हो सकते हैं और ये अन्य दवाओं के साथ इंटरेक्ट कर सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य: सिर्फ मूड स्विंग नहीं, एक वास्तविक प्रभाव (Mental Health Matters)
पेरिमेनोपॉज में हार्मोनल उथल-पुथल सीधे तौर पर
आपके मस्तिष्क के रसायनों को प्रभावित करती है। यह सिर्फ "मूडी होना"
नहीं है; यह एक जैविक वास्तविकता है।
एंग्जाइटी और डिप्रेशन का जोखिम बढ़ जाता है, खासकर उन महिलाओं में जिन्हें पहले भी ऐसी समस्याएं रही हों।
ब्रेन फॉग (मस्तिष्क कोहरा): भूलने की बीमारी, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, सोचने में परेशानी – यह बहुत ही वास्तविक और निराशाजनक हो सकता है।
आत्म-सम्मान पर असर: शारीरिक बदलाव, यौन समस्याएं और ऊर्जा की कमी आपकी आत्म-छवि और आत्मविश्वास को प्रभावित कर
सकती हैं।
क्या करें?
इन भावनाओं को पहचानें और स्वीकार करें: यह आपकी कमजोरी नहीं, बल्कि इस चरण का एक हिस्सा है।
बात करें: अपने पार्टनर, भरोसेमंद दोस्तों, परिवार या सपोर्ट ग्रुप से अपने अनुभव साझा करें।
अकेलेपन की भावना दूर होगी।
पेशेवर मदद लें: अगर उदासी, घबराहट या ब्रेन फॉग आपके जीवन में बाधा डाल रहा है, तो किसी थेरेपिस्ट या काउंसलर से बात करना सबसे अच्छा कदम है। सीबीटी जैसी
थेरेपी बहुत प्रभावी हो सकती है। कभी-कभी दवाओं की भी जरूरत पड़ सकती है।
तनाव प्रबंधन को प्राथमिकता दें: योग, प्राणायाम, ध्यान, गहरी सांस लेने के व्यायाम, प्रकृति में समय बिताना – ये सभी तनाव हार्मोन को कम करने और मानसिक स्पष्टता लाने में मदद करते हैं।
अपने लिए समय निकालें: सेल्फ-केयर कोई लक्जरी नहीं, बल्कि जरूरत है।
शरीर की छवि: बदलाव को गले लगाना (Embracing Body Changes)
समाज अक्सर युवा और बेदाग सुंदरता को महिमामंडित
करता है। पेरिमेनोपॉज में शरीर के बदलाव (वजन बढ़ना, त्वचा में बदलाव, आकृति बदलना) आपको अपने शरीर से अलग-थलग महसूस करवा
सकते हैं।
आलोचना से सावधान: अपने शरीर की आलोचना करना
या उसे "खराब" होना कहना बंद करें। यह शरीर आपको जीवन भर लेकर चला है, अनगिनत अनुभव दिए हैं।
कृतज्ञता पर ध्यान दें: अपने शरीर के उन
कामों के लिए आभार महसूस करें जो वह अभी भी करता है – चलना, सांस लेना, अनुभव करना, आपको जीवित रखना।
आत्म-करुणा: अपने साथ वैसा ही दयालु और
समझदार बनें जैसा आप किसी प्रिय दोस्त के साथ होते।
ऐसे कपड़े पहनें जिनमें आप सहज और सुंदर महसूस करें: फैशन के नियमों से बंधे न रहें। आराम और आत्मविश्वास पहले आता है।
शारीरिकता को फिर से परिभाषित करें: सौंदर्य सिर्फ युवावस्था या किसी खास आकार तक सीमित नहीं है। जीवन के अनुभव, बुद्धि, आत्मविश्वास और आंतरिक प्रकाश में एक अलग ही तरह की सुंदरता होती है।
मिडलाइफ में पनपना: सिर्फ जीवित नहीं, जीवंत रहना (Thriving Strategies)
पेरिमेनोपॉज जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है – जहां आप ज्यादा जागरूक, मजबूत और खुद के प्रति सच्ची
होती हैं। यहाँ कुछ रणनीतियाँ हैं जो न सिर्फ लक्षणों से निपटने में, बल्कि पूरी तरह से पनपने में मदद करेंगी:
1. पोषण ईंधन है (Nutrition is Fuel):
प्लांट-बेस्ड पर फोकस: ताजे फल, सब्जियां (रंग-बिरंगी), साबुत अनाज, दालें, फलियां प्रचुर मात्रा में लें। इनमें फाइबर, विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं।
कैल्शियम और विटामिन डी: हड्डियों के
स्वास्थ्य के लिए अहम। हरी पत्तेदार सब्जियां, डेयरी या फोर्टिफाइड प्लांट मिल्क, मछली। धूप सेंकना और
सप्लीमेंट्स (डॉक्टर की सलाह से)।
लीन प्रोटीन: दालें, टोफू, पनीर (संयमित),
चिकन, मछली मांसपेशियों के लिए
जरूरी।
हेल्दी फैट्स: अखरोट, बादाम, अलसी के बीज, एवोकाडो, ऑलिव ऑयल। कोलेस्ट्रॉल और सूजन को नियंत्रित करने में मददगार।
फाइटोएस्ट्रोजन्स: सोयाबीन (टोफू, एडामामे, सोया मिल्क), अलसी के बीज, तिल के बीज, छोले। ये पौधों से प्राप्त कमजोर एस्ट्रोजन जैसे तत्व हैं जो कुछ हद तक मदद कर
सकते हैं।
हाइड्रेशन: खूब पानी पिएं! डिहाइड्रेशन
थकान और गर्मी की लहरों को बढ़ा सकता है।
कटौती करें: प्रोसेस्ड फूड, शक्कर, रिफाइंड कार्ब्स, ज्यादा नमक, कैफीन और शराब का सेवन सीमित
करें। ये लक्षणों को बढ़ा सकते हैं।
2. गति में रहें (Move Your Body):
एरोबिक व्यायाम: तेज चलना, तैरना, साइकिल चलाना,
नृत्य – हृदय स्वास्थ्य, वजन प्रबंधन और मूड बूस्टर के लिए। हफ्ते में कम से कम 150 मिनट का लक्ष्य रखें।
ताकत बढ़ाने वाला व्यायाम (स्ट्रेंथ ट्रेनिंग): हफ्ते में 2-3 बार। यह मांसपेशियों को बनाए रखने, मेटाबॉलिज्म बढ़ाने और
हड्डियों को मजबूत करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
लचीलापन और संतुलन: योग, पिलेट्स, स्ट्रेचिंग। जोड़ों के दर्द को कम करने, चोट से बचने और संतुलन बनाए
रखने में मददगार।
सुनें अपने शरीर को: दर्द या अत्यधिक थकान हो तो
आराम करें। जबरदस्ती न करें।
3. नींद को प्राथमिकता (Prioritize Sleep):
नियमित समय: रोजाना एक ही समय पर सोने
और जागने की कोशिश करें।
बेडटाइम रूटीन: सोने से 1 घंटे पहले स्क्रीन बंद कर दें। गर्म पानी से नहाएं, किताब पढ़ें, हल्का संगीत सुनें, ध्यान करें।
आरामदायक माहौल: ठंडा, अंधेरा और शांत कमरा। कंफर्टेबल गद्दा और तकिया।
दिन में झपकी? अगर जरूरी हो तो छोटी (20-30 मिनट) झपकी लें, लेकिन दोपहर के बाद नहीं।
4. तनाव प्रबंधन जरूरी (Stress Management is Non-Negotiable):
माइंडफुलनेस और मेडिटेशन: शुरुआत के लिए
गाइडेड मेडिटेशन ऐप्स मददगार हो सकते हैं। दिन में सिर्फ 10 मिनट भी फर्क ला सकते हैं।
गहरी सांस लेना: जब भी तनाव महसूस हो, कुछ गहरी, धीमी सांसें लें।
प्रकृति से जुड़ाव: पार्क में टहलें, बगीचे में काम करें, पेड़ों को देखें।
आनंददायक गतिविधियाँ: संगीत सुनना, पेंटिंग करना,
लिखना, गाना गाना, पालतू जानवरों के साथ खेलना – जो भी आपको खुशी दे।
"ना" कहना सीखें: जो चीजें आपकी ऊर्जा खींचती
हैं, उनसे दूरी बनाएं।
5. सामाजिक संपर्क (Community & Connection):
·
दोस्तों और परिवार के साथ
समय बिताएं: सकारात्मक रिश्ते तनाव कम करते हैं और खुशी बढ़ाते हैं।
·
सहायता समूह (सपोर्ट ग्रुप)
ढूंढें: ऑनलाइन या ऑफलाइन ऐसे ग्रुप्स जहां आप अपने अनुभव साझा कर सकें और दूसरों
से सीख सकें। अकेलापन महसूस न करें।
·
नए शौक या क्लासेज ज्वाइन
करें: नई चीजें सीखने से दिमाग सक्रिय रहता है और नए लोगों से मिलने का मौका मिलता
है।
निष्कर्ष: यह आपकी यात्रा है, अपनी शर्तों पर (Your Journey, Your Terms)
पेरिमेनोपॉज एक यात्रा है, एक गंतव्य नहीं। यह एक ऐसा समय है जब आपका शरीर बदल रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आपका जीवन कम हो गया है या आपकी आवाज़ कमजोर हो गई
है। वास्तव में, यह वह समय हो सकता है जब आप अपने शरीर और अपनी जरूरतों को सबसे गहराई से समझती
हैं और उनके लिए खड़े होना सीखती हैं।
इस यात्रा में आप अकेली नहीं हैं। करोड़ों महिलाएं
इसी दौर से गुजर रही हैं या गुजर चुकी हैं। ज्ञान ही शक्ति है। अपने शरीर के
संकेतों को सुनें,
अपने लक्षणों को पहचानें, अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं से सवाल पूछने और अपनी जरूरतों के लिए वकालत
करने का साहस करें। उपचार के विकल्पों के बारे में जानें, चाहे वह एचआरटी हो, जीवनशैली में बदलाव हो या थेरेपी।
अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें। अपने
बदलते शरीर के साथ दयालुता से पेश आएं। उन चीजों को करने के लिए समय निकालें जो
आपको ऊर्जा और खुशी देती हैं। पौष्टिक भोजन करें, गतिमान रहें, पर्याप्त नींद लें और तनाव को प्रबंधित करें। सामाजिक संपर्क बनाए रखें।
यह आपका शरीर है। यह आपका जीवन है। और यह आपकी
मिडलाइफ है। इसे अपनी शर्तों पर जिएं – जागरूकता के साथ, साहस के साथ, और इस विश्वास के साथ कि आप न सिर्फ इस चरण से गुजर सकती हैं, बल्कि इसमें और भी अधिक जीवंतता, ज्ञान और शक्ति के साथ पनप
सकती हैं।
पेरिमेनोपॉज रजोनिवृत्ति की ओर बढ़ने का संकेत नहीं
है, बल्कि आपकी शक्ति, लचीलेपन और आत्म-ज्ञान की नई परिभाषा गढ़ने का अवसर
है। इसे गले लगाइए। इस पर राज कीजिए। और याद रखिए, आपकी आवाज़, आपकी आवश्यकताएं और आपका कल्याण सर्वोपरि हैं।
आप इसके लायक हैं।
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