मानसिक स्वास्थ्य और मैं: कैसे मैंने अपने दिमाग को फिर से खुश करना सीखा
मैं रोज़ी, उम्र 38 साल, और आज मैं आपके साथ एक ऐसा विषय शेयर करने जा रही हूँ जिसके बारे में बात करना हमारे समाज में आज भी टैबू माना जाता है—मानसिक स्वास्थ्य। खासकर तब, जब आपकी मानसिक परेशानी की वजह आपका अपना पति हो।
मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती यह मान लेना था कि "हाँ, मैं मानसिक रूप से परेशान हूँ।" मैं हमेशा सोचती थी—
- "ऐसा सबके साथ होता है, यह तो नॉर्मल है।"
- "लोग क्या कहेंगे अगर उन्हें पता चला कि मैं डिप्रेशन में हूँ?"
मेरी लक्षण:
✔ बेवजह रोना
✔ छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा
आना
✔ अकेले रहने का मन करना
✔ भूख न लगना या ज्यादा खा
लेना
✔ नींद न आना या बहुत ज्यादा
सोना
अगर आपमें भी ये लक्षण हैं, तो यह समय है खुद पर ध्यान देने का!
मैंने एक डायरी ली और उसमें लिखना शुरू किया—
- "आज मुझे क्यों बुरा लगा?"
- "मैं क्या चाहती हूँ?"
- "क्या मैं खुश रहने के लिए तैयार हूँ?"
डायरी लिखने से मुझे अपनी भावनाओं को समझने में मदद
मिली।
मैंने एक मनोचिकित्सक (Psychiatrist) से संपर्क किया। डॉक्टर ने मुझे कुछ थेरेपी सेशन दिए और जरूरत के हिसाब से
दवाएँ भी।
मिथक: "दवाएँ लेना मतलब पागल हो जाना।"
सच: दवाएँ केमिकल इम्बैलेंस को ठीक करती हैं, जैसे डायबिटीज या BP की दवा।
4. तीसरा कदम: अपने रूटीन में बदलाव
a. सुबह की शुरुआत अच्छी करो
- 15 मिनट धूप लेना (Vitamin
D!)
- 5 मिनट की स्ट्रेचिंग
- एक गिलास पानी
b. हेल्दी खाना
- ओमेगा-3 (अलसी, अखरोट) – दिमाग के लिए अच्छा!
- प्रोटीन (दाल, पनीर) – एनर्जी के लिए
- चाय-कॉफी कम, हर्बल टी ज्यादा
c. एक्सरसाइज और योग
- योग (अनुलोम-विलोम, शवासन)
- डांस! (ज़रूरी नहीं कि आप अच्छे डांसर हों, बस मस्ती करो!)
d. नींद का ध्यान रखो
- रात 10 बजे तक फोन बंद
- गुनगुने पानी से नहाना
- हल्का संगीत सुनना
मेरे पति के व्यवहार ने मुझे तोड़ दिया था। लेकिन
मैंने दो चीजें सीखीं—
1. कम्युनिकेशन: उनसे खुलकर बात की कि मुझे क्या चाहिए।
2. बाउंड्री सेट करना: अगर कोई आपको हर्ट कर रहा है, तो उसे रोकने का हक आपको है।
6. पाँचवा कदम: खुद को प्यार करना
- "मैं अच्छी हूँ" – रोज आईने में खुद से बोलो।
- "मैं स्पेशल हूँ" – अपनी छोटी-छोटी उपलब्धियों
को सेलिब्रेट करो।
- "मैं खुश रहने लायक हूँ" – याद रखो, आपकी खुशी सबसे ज्यादा जरूरी है।
Q&A: मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े सवाल-जवाब
Q1. क्या मानसिक समस्याएँ दवा के बिना ठीक हो सकती हैं?
A: हल्के केस में थेरेपी और लाइफस्टाइल बदलाव से ठीक हो सकता है, लेकिन गंभीर केस में दवा जरूरी है।
Q2. पति/परिवार वाले समझें नहीं तो क्या करें?
A: उन्हें आर्टिकल्स, वीडियो दिखाएँ। अगर फिर भी न समझें, तो किसी काउंसलर की मदद लें।
Q3. क्या सोशल मीडिया से दूर रहना जरूरी है?
A: हाँ! कम से कम निगेटिव लोगों को म्यूट/अनफॉलो कर दें।
Q4. क्या मैं अकेले ही इससे बाहर आ सकती हूँ?
A: कोशिश कर सकती हैं, लेकिन सपोर्ट सिस्टम (दोस्त, डॉक्टर, फैमिली) होना जरूरी है।
निष्कर्ष: आपकी जिंदगी, आपकी मर्जी!
मैं आज भी अपनी जंग लड़ रही हूँ, लेकिन अब मैं हार नहीं मानती। "आप खुश रहने के लिए जन्मे हैं, दुखी होने के लिए नहीं!"
अगर आप भी किसी ऐसी स्थिति से गुजर रहे हैं, तो आज ही एक छोटा कदम उठाइए—चाहे वो डॉक्टर को कॉल करना हो, या सिर्फ 5 मिनट धूप में बैठना।
याद रखिए:
"जिंदगी एक सिंगल टेक मूवी की तरह है… रीटेक नहीं मिलता, इसलिए इसे बेस्ट लीव
करो!" 😊
कमेंट में बताइए: आप अपने मानसिक स्वास्थ्य का
ख्याल कैसे रखते हैं? कोई टिप शेयर करें!
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