हर महिला को ज़रूर करवाने चाहिए ये 7 जाँचें - मेरी पर्सनल जर्नी!

 

 महिला स्वास्थ्य: हर महिला को ज़रूर करवाने चाहिए ये 7 जाँचें - मेरी पर्सनल जर्नी! 

(और हाँ, इसमें मज़ेदार फैक्ट्स भी हैं!) 

 


नमस्ते दोस्तों! मैं रोज़ी... और आज मैं आपसे बात करने जा रही हूँ एक ऐसे टॉपिक पर जिसे हम अक्सर "बाद में" के लिए टाल देते हैं हमारी सेहत! कुछ साल पहले, मेरी एक दोस्त ने बिना किसी चेतावनी के अचानक ब्रेस्ट कैंसर का पता चला। उसकी उम्र सिर्फ 32 साल थी। वह घटना मेरे लिए वेक-अप कॉल थी। मैंने तभी ठान लिया कि अब से "बाद में" नहीं, "अभी" होगा! आज मैं आपके साथ शेयर करूँगी वो 7 ज़रूरी हेल्थ चेकअप्स जो हर महिला को नियमित रूप से करवाने चाहिए। चलिए, हेल्थ की इस जर्नी में साथ चलें!


 1. स्तन जाँच (मैमोग्राम & सेल्फ-एग्जामिनेशन) - अपने सबसे करीब की केयर! 

क्या है? 

ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग, जिसमें मैमोग्राम (एक्स-रे) और घर पर खुद स्तनों की जाँच शामिल है। 

क्यों ज़रूरी? 

भारत में हर 4 मिनट में एक महिला में ब्रेस्ट कैंसर डायग्नोज़ होता है! शुरुआती स्टेज में पकड़े जाने पर इलाज सफलता दर 90%+ है। 

कब करवाएँ? 

- 20-39 साल: महीने में एक बार सेल्फ-एग्जाम। 

- 40 साल+: सालाना मैमोग्राम + सेल्फ-एग्जाम। 

 

मेरा अनुभव: 

पहली बार मैमोग्राम करवाते हुए थोड़ी झिझक हुई, लेकिन टेक्नीशियन दीदी ने इतना प्यार से समझाया कि तनाव गायब हो गया! आज ये मेरी रूटीन का हिस्सा है। 

फन फैक्ट! 

क्या आप जानती हैं? इंसानों के अलावा, सिर्फ हाथी और व्हेल मछलियों को भी नेचुरल ब्रेस्ट कैंसर होता है! 

 2. पैप स्मीयर और पेल्विक जाँच - गर्भाशय की सेफ्टी नेट! 

 

क्या है? 

गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) के सेल्स की जाँच, जो कैंसर या प्री-कैंसर स्थितियों का पता लगाती है। 

 

क्यों ज़रूरी? 

सर्वाइकल कैंसर भारत में महिला मौतों का दूसरा प्रमुख कारण है। पैप टेस्ट 95% केस शुरुआत में ही पकड़ लेता है! 

 

कब करवाएँ? 

- 21 साल से शुरू करें। 

- 21-29 साल: हर 3 साल में। 

- 30-65 साल: हर 5 साल में (HPV टेस्ट के साथ)। 

 

मेरा अनुभव: 

मेरी डॉक्टर ने मुझे समझाया: "ये जाँच उतनी ही नॉर्मल है जितना ब्रश करना!" 5 मिनट की प्रक्रिया, लेकिन जिंदगी भर की पीस ऑफ माइंड। 

फन फैक्ट! 

पैप स्मीयर टेस्ट का आविष्कार 1928 में डॉ. जॉर्ज पापानिकोलाऊ ने किया था... और पहला सैंपल उनकी पत्नी का था! 

 3. बोन डेंसिटी स्कैन (DEXA) - हड्डियों का खजाना सुरक्षित रखो! 

क्या है? 

हड्डियों के घनत्व की जाँच, जो ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डी घनत्व कम होना) का पता लगाती है। 

क्यों ज़रूरी?  मेनोपॉज़ के बाद 50% भारतीय महिलाएँ ऑस्टियोपोरोसिस से प्रभावित होती हैं। चुपके से हड्डियाँ कमजोर होती हैं, दर्द नहीं होता! 

कब करवाएँ? 

- 65 साल से शुरू (या मेनोपॉज़ के तुरंत बाद)। 

- अगर फ्रैक्चर हुआ हो तो पहले भी। 

 

मेरा अनुभव: 

मेरी माँ की कमर दर्द को "उम्र का असर" समझकर नजरअंदाज किया गया। जब टेस्ट हुआ तो पता चलाऑस्टियोपोरोसिस! अब हम दोनों सालाना स्कैन करवाते हैं। 

 

फन फैक्ट! 

मानव शरीर की सबसे मजबूत हड्डी जांघ (फीमर) होती है... यह कंक्रीट से 4 गुना ज्यादा प्रेशर झेल सकती है! 

 4. ब्लड प्रेशर चेक - दिल का दोस्त या दुश्मन? 

क्या है?  रक्तचाप मापना, जो दिल की सेहत का बैरोमीटर है। 

क्यों ज़रूरी? 

हाई बीपी "साइलेंट किलर" है! भारत में 30% शहरी महिलाएँ हाइपरटेंशन की शिकार हैं, जिससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। 

कब करवाएँ? 

- 18 साल से: हर 2 साल में। 

- 40 साल+: सालाना। 

- घर पर भी मॉनिटर करें (घर का BP मशीन ज़रूर रखें!)। 

मेरा अनुभव: 

मेरा बीपी पहली बार हाई आया तो मैंने सोचा—"मशीन खराब है!" लेकिन डॉक्टर ने लाइफस्टाइल बदलने को कहा। योग और कम नमक ने मुझे दवा से बचा लिया! 

फन फैक्ट! 

जिराफ का ब्लड प्रेशर इंसानों से दोगुना होता है, ताकि उसके लंबे गले तक खून पहुँच सके! 

 5. लिपिड प्रोफाइल (कोलेस्ट्रॉल टेस्ट) - खून में छिपा खतरा! 

क्या है? 

खून में गुड (HDL) और बैड (LDL) कोलेस्ट्रॉल व ट्राइग्लिसराइड्स की जाँच। 

क्यों ज़रूरी? 

हाई कोलेस्ट्रॉल हार्ट ब्लॉकेज का प्रमुख कारण है। 45% भारतीय महिलाओं में HDL ("गुड कोलेस्ट्रॉल") कम होता है। 

कब करवाएँ? 

- 20 साल से: हर 4-6 साल में। 

- 45 साल+: हर 1-2 साल में। 

- अगर डायबिटीज या मोटापा हो तो जल्दी-जल्दी। 

मेरा अनुभव: 

मैंने सोचा था कोलेस्ट्रॉल "मोटे लोगों की प्रॉब्लम" है! जब मेरा LDL बॉर्डरलाइन आया तो हैरान रह गई। अब सालाना टेस्ट मेरी डायरी में फिक्स है। 

फन फैक्ट! 

शरीर में 80% कोलेस्ट्रॉल लिवर बनाता है, सिर्फ 20% खाने से आता है... इसलिए डाइट अकेले जिम्मेदार नहीं! 

 6. ब्लड शुगर टेस्ट (डायबिटीज स्क्रीनिंग) - मीठा जहर न बने! 

क्या है? 

फास्टिंग ब्लड शुगर या HbA1c टेस्ट जो प्री-डायबिटीज या डायबिटीज का पता लगाते हैं। 

क्यों ज़रूरी? 

भारत में 7.5 करोड़ महिलाएँ डायबिटिक हैं! अनकंट्रोल शुगर से किडनी फेल, अंधापन और पैरों में गैंग्रीन हो सकता है। 

कब करवाएँ? 

- 35 साल से: हर 3 साल में। 

- अगर मोटापा या पारिवारिक इतिहास हो तो 25 साल से शुरू करें। 

मेरा अनुभव: 

मेरी चाची को डायबिटीज का पता तब चला जब उनकी नजर धुंधली होने लगी। अब मैं खुद हर साल HbA1c टेस्ट करवाती हूँये 3 महीने का शुगर लेवल बताता है, सटीक रिजल्ट के लिए बेस्ट! 

फन फैक्ट! 

प्राचीन भारत में, डॉक्टर मधुमेह का पता लगाने के लिए मूत्र पर चीटियों को आकर्षित होने का टेस्ट करते थे! 

 7. थायराइड फंक्शन टेस्ट (T3, T4, TSH) - गर्दन में छिपा तितली जैसा अंग! 

क्या है? 

खून टेस्ट जो थायराइड हार्मोन के स्तर को मापते हैं। 

क्यों ज़रूरी? 

भारत में 42 मिलियन महिलाएँ थायराइड डिसऑर्डर से पीड़ित हैं! लक्षण जैसे वजन बढ़ना, थकान, बाल झड़ना अक्सर "स्ट्रेस" समझकर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं। 

कब करवाएँ? 

- 30 साल से: हर 2-3 साल में। 

- अगर गर्दन में सूजन, गले में खराश या अनियमित पीरियड्स हों तो तुरंत। 

मेरा अनुभव: 

मैं हमेशा थकी-थकी रहती थी। एक फ्रेंड ने कहा—"थायराइड चेक करवा लो!" टेस्ट में हाइपोथायरायडिज्म निकला। छोटी सी गोली खाकर मैं अब एनर्जी से भरी हूँ! 

फन फैक्ट! 

थायराइड ग्लैंड की शेप एक तितली जैसी होती है... और ये हमारे मेटाबॉलिज्म की "तितली इफेक्ट" क्रिएट करती है! 

 निष्कर्ष: आपकी सेहत, आपकी जिम्मेदारी! 

 

दोस्तों, मैं ये नहीं कह रही कि हर जाँच के बाद आपको कोई बीमारी निकलेगी! बल्कि ये तो आपकी "हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी" हैंजो सबकुछ ठीक रहने पर भी मन की शांति देती हैं। मेरी मम्मी कहती थीं: 

> "सोना चेक करवाने के लिए भी कस्टडी लैब जाते हो, तो खुद के शरीर की जाँच से क्यों डरते हो?" 

 

तो इस साल अपनी बर्थडे गिफ्ट खुद देंएक हेल्थ चेकअप एपॉइंटमेंट! याद रखें: 

- फैमिली हिस्ट्री को नज़रअंदाज़ न करें। 

- लक्षण दिखे तो "यूँ ही होगा" न कहें। 

- प्रिवेंटिव हेल्थकेयर सबसे स्मार्ट इन्वेस्टमेंट है। 

 

आपकी सेहत आपकी ताकत है... उसे नज़रअंदाज़ न करें। प्यार और सेहतमंद रहिए!  

📝 ध्यान दें: यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी टेस्ट या उपचार से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।  

स्रोत: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR), नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5).

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